
कार्यक्रम के दौरान जहां जूनियर किशोर कुमार ने उस समय के किशोर कुमार के हिट गीत बेहतरीन अंदाज़ में प्रस्तुत किये वहीं मेरी प्रस्तुति भी कम ज़ोरदार नहीं रही। उस दिन जूनियर किशोर कुमार ने मेरे गानों पर खुश होकर मुझे पूरे 21 रुपये ईनाम स्वरूप प्रदान दिये। तब 21 रुपयों की कीमत आज की तुलना में बहुत ही ज़्यादा थी। मैं उनसे यह राशि नहीं लेना चाहता था पर स्टेज पर थोड़ी-बहुत आना-कानी, भागम-भाग और श्रोताओं की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच अंततः मुझे उनके हाथों वह पुरस्कार राशि लेनी ही पड़ी। मुंबई के इतने बड़े कलाकार के हाथों ईनाम मिलने सेे मेरी खुशी उस वक़्त काफी बढ़ गई थी। मुझे लगा कि जब इतना बड़ा कलाकार मुझ साधारण से बच्चे के गाने पर इतना बड़ा ईनाम दे सकता है तो मुझे भी उस बड़े कलाकार का कुछ सम्मान करना चाहिये। और इस तरह से जब जूनियर किशोर कुमार पुनः अपना एक गाना समाप्त करके वापस आने को हुए तो मैं भी उनके गाने पर खुश होकर उनकी हौसला आफ़जाई के लिये उन्हें ईनाम देने मंच पर पहुंच गया था। जब मैंने उनकी ओर अपना हाथ बढ़ाया और उन्होंने मेरे हाथ से एक रुपये का नोट लेकर दर्शकों को दिखाते हुए उनकी ओर लहराया तो मेरी इस मासूमियत पर पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। दरअसल मैंने उन्हीं के दिये रुपयों में से एक रुपये का नोट निकालकर उन्हें पुरस्कार स्वरूप देना चाहा था। बाद में उन्होंने मुझे वह नोट ज़बरन वापस करते हुए अपने सीने से लगा लिया था।
05 अप्रैल,15 (शेष अगली किस्त में)