
हमारे हिन्दी के मास्टर जी हमारी देश प्रेम की भावनायें अच्छी तरह से समझते थे, यही वजह थी कि क्लास में अक्सर खाली समय में वह मुझसे कोई देश भक्ति का गीत अवश्य सुनते थे। उस समय प्रायः मास्टर जी मुझसे सुभद्राकुमारी चौहान द्वारा लिखा गया गीत ‘खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाॅसी वाली रानी थी...’ सुनाने को कहते। तब मैं पूरी तरह से मदमस्त होकर वह गीत सुनाता और मास्टर जी सहित सभी सहपाठी भाव विभोर होकर रह जाते।
यह गीत गाते समय मुझे कुछ ऐसा महसूस होता मानों मैंने खुद भी कभी रानी झाँसी की सेना में रहते हुए उनके साथ ही अंग्रेजों से लोहा लिया हो। और हाँ, उस समय यह
गीत गाते हुए हमें इस बात का रंच मात्र भी आभाष नहीं होता था कि यह गीत गाते गाते पिता जी के ट्रांस्फर के चलते हम कभी बहराइच छोड़कर सीधे लक्ष्मीबाई के नगर ‘झाँसी’ में ही जा बसेंगे।’
28 जून,2016 (शेष अगली किस्त में)