मंगलवार, 29 मई 2018

अट्ठाइसवीं किस्तः मंच की तलाश


झांसी नगर पालिका में कार्यरत श्रीं सियाशरण गुप्ता भाई साहब जल्द ही मेरे गानों के फैन हो गये थे। मेरे गायन के प्रचार-प्रसार का वो कभी कहीं कोई मौका नहीं छोड़ते। उनके घर में भाभी, बच्चे सब मेरे गानों के मुरीद हो चुके थे। अब तक मेरा कण्ठ फूटा नहीं था अतः अभी भी मैं लता मंगेशकर या आशा जी के गाने ही गाता गुनगुनाता रहता था। इसी बीच एक संगीत शिक्षक श्री किशन भटनागर भी मेरे संपर्क में आये। वह तो मेरे गानो से इतने प्रभावित हुए कि जब भी उन्हें समय मिलता, वह मुझे अपनी साइकिल पर बैठालकर चल देते। और घर-घर में मेरी गायिकी का प्रचार करते रहते। अनेक जगहों पर मुझे उनके आग्रह पर सबको गीत गाकर भी सुनाना पड़ता और फिर कुछ वाहवाहियां भी मेरे हिस्से में आतीं। झांसी में मेरी गायिकी के छुट-पुट प्रदर्शन के बावजू़द इस नये शहर में अभी भी मैं बहराइच वाली जगह नहीं तलाश पाया था। वो बहराइच का घंटाघर, हज़ारों प्रशंसकों की भीड़ और तालियों की गड़गड़ाहट में गुम हो जाने का मौका लगता था मुझसे कोसों दूर हो चला था।


          एक बार मेरे एक मित्र मुझे राजेन्द्र प्रसाद स्कूल के प्रांगण में चल रहे एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में ले गये। वहां लखनऊ के एक नामी एंकर कलाकारों को बारी-बारी से मंच पर बुला रहे थे। किसी ने मेरे गाने की भी सिफारिश की। परन्तु एंकर महोदय की मेरे गायन में कोई रुचि नहीं थी अतः मेरे नाम की फरमाइश का भी उन पर कोई असर नहीं पड़ा। अलबत्ता ज़्यादा दबाव पर वह बीच-बीच में मेरा नाम अवश्य लेते जा रहे थे और कई बार उन्होंने मेरा हल्का सा परिचय देते हुए मेरे नाम का एनाउंसमेंट भी किया परन्तु कलाकारों की भीड़ में मुझे अपनी प्रतिभा दिखाने का वह मुझे कोई मौका नहीं दे पाये। 

           उस उम्र तक शायद मेरे लिये यह पहला मौका था जब मैं किसी मंच पर एक गाना गाने के लिय भी तरस गया था। हालांकि जल्द ही मुझे उसी स्कूल के दुर्गा पूजा समारोह में आयोजित एक गायन प्रतियोगिता में गाने का मौका मिला। उस दिन मैंने ‘एक महल हो सपनों का’ फिल्म का गीत ‘देखा है जिंदगी को कुछ इतना करीब से, चेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से...’ गाकर श्रोताओं के दिलों में जगह बनाने में कामयाबी पायी। प्रतियोगिता के किशोर वर्ग में उस दिन मुझे प्रथम पुरस्कार मिला और स्कूल प्रबंधक सक्सेना जी की बेटी मोहिनी सक्सेना को ‘अच्छे समय पर तुम आये कृष्णा’ गीत पर किशोरी वर्ग में प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ। उस दिन से सक्सेना परिवार से हमारी घनिष्ठता और भी बढ़ गई थी।

29 मई,2018 (शेष अगली किस्त में)

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